स्वैच्छिक विषय नारी
नारी: शक्ति, स्नेह और संकल्प
नारी है सृजन की गाथा, जीवन की एक परिभाषा,
स्नेह, ममता, प्रेम से भरी, कोमलता की परछाई।
संघर्षों में आगे बढ़ती, न थकती, न हार मानती,
हर बंधन को तोड़ निकलती, नयी राहें खुद पहचानती।
कभी वो बेटी बनकर आती, घर में खुशियाँ भर जाती,
कभी बहन बन रक्षा करती, हर रिश्ते को निभा जाती।
माँ के रूप में ममता बहती, त्याग का प्रतिरूप बनी,
पत्नी बन हर दर्द सहती, प्रेम की अनुपम अग्नि जली।
गंगा जैसी पावन नारी, हिमालय जैसी दृढ़ता,
संस्कृति और सभ्यता की, सदियों से वो पहचान बनी।
अधिकारों की लौ जलाकर, अब वो अपने हक में खड़ी,
सपनों की उड़ान लिए, वो अब निडर और निर्भय बढ़ी।
नारी का सम्मान करोगे, तभी जग में प्रकाश होगा,
उसके बिना ये सृष्टि अधूरी, यही सच्चा विश्वास होगा।
सुनीता गुप्ता
hema mohril
26-Mar-2025 05:02 AM
fabulous
Reply
Varsha_Upadhyay
13-Feb-2025 08:25 PM
Very nice 👍🏻
Reply